श्रेयांश सिंह:खैरागढ़
जिला कांग्रेस कार्यकारिणी द्वारा लिए गए निष्कासन के विवादास्पद निर्णय ने खैरागढ़ की सियासत को झकझोर दिया है। पार्टी से विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन, वरिष्ठ कांग्रेसी डॉ. अरुण भारद्वाज और नगर पालिका में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष दीपक देवांगन को निष्कासित करने के फैसले ने न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असंतोष फैला दिया है, बल्कि विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा ने भी इसे खुलकर द्वेषपूर्ण, असंवैधानिक और साजिशन निर्णय करार दिया है।
विधायक ने कहा– यह निर्णय संगठन की आत्मा पर प्रहार
विधायक यशोदा वर्मा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि यह निर्णय पार्टी संविधान की खुली अवहेलना है और इसे व्यक्तिगत रंजिश के चलते लिया गया है।
विधायक प्रतिनिधि और नेता प्रतिपक्ष को निष्कासित करने का अधिकार जिला कांग्रेस कमेटी के पास नहीं है। यह अधिकार केवल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पास होता है। ऐसे में यह निर्णय न केवल अमान्य है बल्कि कांग्रेस संगठन की आत्मा पर सीधा प्रहार है।”
उन्होंने कहा कि कुछ पदाधिकारियों ने कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र को कमजोर करने और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा साधने के लिए इस कदम को उठाया है।
लोकप्रिय जनसेवकों के खिलाफ रची गई साजिश
विधायक ने तीखे शब्दों में कहा कि जिन नेताओं ने हमेशा जनता के बीच रहकर संगठन को मजबूत किया, उन्हीं को निष्कासित करने की साजिश रची गई है।
मनराखन देवांगन, डॉ. अरुण भारद्वाज और दीपक देवांगन जैसे जनसेवक नेताओं की लोकप्रियता से घबराकर कुछ लोगों ने द्वेषपूर्ण तरीके से यह कदम उठाया है,”
उन्होंने कहा।
उन्होंने ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षद्वय भीखम छाजेड और आकाशदीप पर आरोप लगाया कि वे संगठन को अपने व्यक्तिगत मतभेदों की भेंट चढ़ा रहे हैं और कांग्रेस की एकता को तोड़ने का काम कर रहे हैं।
नवागांव बैठक में पहले भी हुई थी असफल कोशिश
विधायक वर्मा ने खुलासा किया कि यह कोई पहला प्रयास नहीं था।
4 अक्टूबर को नवागांव में आयोजित ब्लॉक एवं शहर कांग्रेस की बैठक में भी इन नेताओं के खिलाफ प्रस्ताव लाने की कोशिश की गई थी, लेकिन जब कार्यकर्ताओं ने इसका जोरदार विरोध किया, तो बैठक को अराजक माहौल में समाप्त करना पड़ा।
इसके बावजूद भीखम छाजेड और आकाशदीप ने दूसरे जिले के कुछ नेताओं के सहयोग से छुईखदान में गुपचुप बैठक बुलाकर यह निर्णय पारित किया।
यह पूरी प्रक्रिया कांग्रेस के संविधान के खिलाफ है और संगठनात्मक मर्यादा को ठेस पहुँचाने वाली है,” विधायक ने कहा।
‘जब मतदाता ही नहीं तो ब्लॉक अध्यक्ष कैसे?’ – विधायक का सवाल
विधायक यशोदा वर्मा ने सवाल उठाया कि जब ब्लॉक अध्यक्ष स्वयं खैरागढ़ ब्लॉक के मतदाता ही नहीं हैं, तो वे यहाँ के कार्यकर्ताओं पर निर्णय थोपने का अधिकार कैसे रख सकते हैं?
उन्होंने कहा कि वर्तमान में ब्लॉक अध्यक्ष पद की प्रक्रिया प्रदेश स्तर पर लंबित है, और पद हाथ से निकलते देख कुछ लोगों ने जल्दबाज़ी में ऐसा निर्णय लेकर संगठन को विवादों में झोंक दिया है।
कांग्रेस जैसे अनुशासित दल में यह मानसिकता अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है,” उन्होंने जोड़ा।
कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं तीनों निष्कासित नेता
विधायक ने तीनों नेताओं की निष्ठा, सक्रियता और योगदान की सराहना करते हुए कहा कि ये सभी कांग्रेस पार्टी के वफादार और संघर्षशील सिपाही हैं।
दीपक देवांगन नगर पालिका में नेता प्रतिपक्ष के रूप में हर वार्ड की समस्या उठा रहे हैं,
मनराखन देवांगन विधायक प्रतिनिधि के रूप में लगातार जनता के बीच रहकर कांग्रेस की नीतियों को प्रचारित कर रहे हैं,
और डॉ. अरुण भारद्वाज समाज सेवा और संगठनात्मक मजबूती के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं।
ऐसे कर्मठ और जनप्रिय नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाना कांग्रेस की मूल भावना और आंतरिक लोकतंत्र पर चोट है,” वर्मा ने कहा।
विधायक ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को सौंपी रिपोर्ट
विधायक वर्मा ने बताया कि पूरे प्रकरण की जानकारी उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को दे दी है।
प्रदेश अध्यक्ष ने भी इस कार्रवाई को असंवैधानिक और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए रिपोर्ट मांगी है,”
उन्होंने कहा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना विधायक की सहमति के किसी विधायक प्रतिनिधि पर कार्रवाई करना पूर्णतः निरस्त योग्य है और पार्टी संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
निष्क्रिय नेताओं की चाल – पद की दौड़ में रची गई साजिश
विधायक वर्मा ने कहा कि खैरागढ़ में कांग्रेस संगठन तेजी से सक्रिय हुआ है और जनता के बीच लोकप्रिय चेहरों को बढ़त मिल रही है।
ऐसे में कुछ निष्क्रिय और अवसरवादी नेता, जो वर्षों से संगठन में केवल पदों की राजनीति कर रहे हैं,
मनराखन देवांगन की जिलाध्यक्ष पद की सशक्त दावेदारी से घबराए हुए हैं।
इसी घबराहट में उन्होंने झूठी रिपोर्ट बनाकर प्रदेश स्तर पर भ्रम फैलाने की कोशिश की है,”
उन्होंने कहा।
वर्मा ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास त्याग, सेवा और समर्पण का है, लेकिन कुछ लोग इसे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की सीढ़ी बनाना चाहते हैं, जो पार्टी हित में नहीं है।
‘जनता और पार्टी के लिए लड़ते रहेंगे सच्चे सिपाही’
अंत में विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा ने कहा कि साजिशों और आरोपों के बावजूद मनराखन देवांगन, डॉ. अरुण भारद्वाज और दीपक देवांगन जैसे नेता जनता के बीच अपना कार्य जारी रखेंगे।
कांग्रेस के सच्चे सिपाही किसी पद से नहीं, बल्कि जनता के विश्वास से पहचाने जाते हैं।
वे आगे भी निष्ठा और समर्पण के साथ जनता और पार्टी के लिए कार्य करते रहेंगे,”
वर्मा ने कहा।
प्रदेश नेतृत्व करेगा मामले की समीक्षा
सूत्रों के अनुसार, यह मामला अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संज्ञान में पहुँच चुका है और जल्द ही इस पर आधिकारिक निर्णय लिया जाएगा।
संभावना जताई जा रही है कि निष्कासन आदेश निरस्त किया जा सकता है, और संबंधित नेताओं को पुनः संगठन में सक्रिय जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
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