श्रेयांश सिंह : खैरागढ़ –
छत्तीसगढ़ की पुण्यभूमि खैरागढ़ से एक ऐसा नाम उभरा है, जिसने गौसेवा को महज परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक नवजागरण का माध्यम बना दिया है। यह नाम है डॉ. अखिल जैन ‘पदम डाकलिया’, जो मनोहर गौशाला, खैरागढ़ के प्रबंध ट्रस्टी हैं।
गौसेवा से जन्मा “धरती को ज़हरमुक्त” करने का मिशन
डॉ. जैन का उद्देश्य केवल गाय की सेवा तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने यह ठान लिया कि रासायनिक खेती से उपजी ज़हरीली ज़मीन को फिर से उर्वर और जीवंत बनाना है। उनके इस अभियान ने गाय आधारित जैविक खेती को एक नई पहचान दी।
- 2 लाख लीटर से अधिक गौमूत्र से बना तरल खाद “फसल अमृत” किसानों को निःशुल्क वितरित।
- 2 लाख क्विंटल से अधिक “मनोहर ऑर्गेनिक गोल्ड” (गोबर खाद) खेतों तक पहुंचाई गई।
- गौमूत्र अर्क से सैकड़ों रोगियों को लाभ, स्वास्थ्य के क्षेत्र में नवाचार।
- गोबर से दीपक, गणेश मूर्तियाँ, चटाइयाँ आदि बनाकर स्थानीय आजीविका के नए रास्ते खोले।
🚑 गौ चिकित्सा, गौ एंबुलेंस और वन संरक्षण की दिशा में पहल
डॉ. जैन ने गौ-अस्पताल की स्थापना के साथ ही गौ एंबुलेंस सेवा शुरू की, ताकि बीमार व घायल गायों को समय पर चिकित्सा मिल सके। इसके अलावा उन्होंने गौ आधारित वन निर्माण का अभियान भी चलाया।
स्थानीय महिलाओं को गोबर से सजावटी वस्तुएं बनाने का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित किया।
वन क्षेत्र में भी गोबर आधारित जैविक उत्पादों के उपयोग से पर्यावरण को सुरक्षित रखने की पहल।
🏆 सम्मान नहीं, सेवा ही जीवन का उद्देश्य
- डॉ. जैन को कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार मिले हैं, लेकिन वे इसे केवल जनसेवा की स्वीकार्यता मानते हैं।
- राष्ट्रीय प्राणी मित्र पुरस्कार – भारत सरकार
- जीव-जंतु कल्याण बोर्ड के मानद प्रतिनिधि – भारत सरकार
- अंतरराष्ट्रीय अहिंसा पुरस्कार (2020) – राजभवन, रायपुर
- यति यतनलाल राष्ट्रीय सम्मान (2024) – छत्तीसगढ़ शासन
- नवाचार के लिए राष्ट्रीय पहचान
गाय, ग्राम और गांधी के आदर्शों पर चलती सेवा-यात्रा
डॉ. अखिल जैन का मानना है कि “गाय केवल आस्था का प्रतीक नहीं, आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ है”। उनका उद्देश्य है कि गाय भीख नहीं मांगे, बल्कि विज्ञान और परंपरा के मेल से समाज को दिशा दे। “मैं चाहता हूँ कि गाय स्वयंभू बने, न कि सहारा माँगे। गौ आधारित ग्राम विकास ही सच्चा भारत निर्माण है।” – डॉ. अखिल जैन
गौशाला नहीं, एक जीवंत प्रयोगशाला है यह
मनोहर गौशाला, खैरागढ़ आज एक प्रयोगशाला बन गई है – जहाँ प्रकृति, विज्ञान, सेवा और स्वावलंबन का अद्भुत संगम होता है। यहाँ केवल गौसेवा नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण समाज को पुनर्जीवित करने की प्रेरणा मिलती है।
डॉ. अखिल जैन उन विरले समाजसेवियों में से हैं जो गाय को पूजा नहीं, समाधान मानते हैं। उनकी सोच आज के युवाओं को जैविक खेती, पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भर ग्राम व्यवस्था की दिशा में सोचने की प्रेरणा देती है।
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