42 दैनिक वेतनभोगियों की सेवा समाप्ति से भड़का गैर शिक्षक कर्मचारी संघ
श्रेयांश सिंह : खैरागढ़ –
छत्तीसगढ़ के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने के प्रयासों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगे हैं। कर्मचारी संघ ने दावा किया है कि उनकी 12 सूत्रीय मांगों को लंबे समय से अनदेखा किया जा रहा है, और अब प्रशासन आंदोलन को दबाने के लिए दबाव, धमकी और शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है।
कर्मचारी हितों की लड़ाई में उतरा संघ
गैर शिक्षक कर्मचारी संघ ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन विश्वविद्यालय की गरिमा और कर्मचारियों के हक की रक्षा के लिए है। संघ का कहना है कि, “हम सभी स्थानीय कर्मचारी हैं और विश्वविद्यालय को अपनी धरोहर मानते हैं। जीवन के कई वर्ष हमने इसकी सेवा में समर्पित किए हैं।”
संघ का यह भी कहना है कि पूर्व में भी उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किए हैं, लेकिन इस बार प्रशासन भय दिखाकर उन्हें तोड़ने की कोशिश कर रहा है।
दरबार हॉल बना दबाव का मंच
सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल ही में दरबार हॉल में बैठक आयोजित कर दैनिक वेतनभोगियों को धमकाया। उन्हें कहा गया कि यदि वे आंदोलन में शामिल हुए तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। साथ ही संघ पदाधिकारियों पर झूठे आरोप लगाने और साजिश रचने की जानकारी भी सामने आई है।
42 कर्मचारियों की सेवा समाप्ति बनी आंदोलन की चिंगारी
संघ के अनुसार, प्रशासन ने 42 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की मौखिक रूप से सेवा समाप्ति कर दी, जबकि गर्मी के दौरान भी उनकी सेवाएं आवश्यक थीं। अब नया सत्र 1 जुलाई से प्रारंभ हो चुका है और प्रशासन दबाव में उन्हें दोबारा कार्य पर बुला रहा है। संघ ने इसे कर्मचारी विरोधी फैसला बताया।
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी गारंटी और नियमितीकरण प्रक्रिया से इन कर्मचारियों को जानबूझकर वंचित करने की साजिश की जा रही है।
फेडरेशन और संघों का समर्थन
इस संघर्ष में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, शिक्षक संघ, और अन्य कर्मचारी संगठन भी शामिल हो गए हैं। सभी ने आंदोलनरत कर्मचारियों का समर्थन करते हुए कुलपति, सांसद और जिला पंचायत उपाध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा है।
“लोकतंत्र में विरोध का अधिकार हमारा संवैधानिक हक़”
संघ ने प्रशासन की कार्रवाई को लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। नेताओं ने कहा कि, “लोकतंत्र में हर नागरिक को शांतिपूर्ण ढंग से अपने हक की लड़ाई लड़ने का अधिकार है।” साथ ही संघ ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनकी छवि और आंदोलन की गरिमा को धूमिल करने का प्रयास कर रहा है।
संघ ने दी चेतावनी – संघर्ष और तेज होगा
गैर शिक्षक कर्मचारी संघ ने स्पष्ट किया है कि उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण और सौहार्द्रपूर्ण रहेगा। लेकिन अगर प्रशासन द्वारा दमन की नीति नहीं रोकी गई, तो कर्मचारी वर्ग और अधिक मजबूती से एकजुट होकर आंदोलन को आगे बढ़ाएगा।
“यह सिर्फ आंदोलन नहीं, हमारी गरिमा, आजीविका और अधिकार की लड़ाई है” – कर्मचारी संघ
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