Thursday, 31 July, 2025
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युक्तियुक्तकरण पर फैली भ्रांतियों का तथ्यात्मक खंडन: शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की पहल

  • छत्तीसगढ़ महतारी / रायपुर – छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) की प्रक्रिया को लेकर कुछ शैक्षिक संगठनों और व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों में कई भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। इन भ्रांतियों में सबसे प्रमुख यह दावा है कि राज्य में 4 हजार स्कूल बंद किए जा रहे हैं, 43849 शिक्षक पद समाप्त हो रहे हैं, और हजारों व्याख्याता अतिशेष घोषित कर दिए गए हैं। इन सभी दावों को शिक्षा विभाग ने तथ्यों के साथ पूरी तरह खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया न केवल पूरी तरह कानूनी और नीति-संगत है, बल्कि इसका उद्देश्य राज्य की शिक्षा प्रणाली को अधिक सुदृढ़ और न्यायसंगत बनाना है।
  • क्या है युक्तियुक्तकरण?

  • युक्तियुक्तकरण शिक्षा व्यवस्था में शिक्षकों की उपलब्धता और तैनाती को संतुलित करने की एक प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिस स्कूल में जितनी ज़रूरत हो, वहीं पर शिक्षक पदस्थ किए जाएं। यह प्रक्रिया शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के निर्देशों के अनुसार की जा रही है।
  • स्कूल बंद नहीं होंगे, बल्कि होगा प्रशासनिक समायोजन

  • विभाग ने साफ किया है कि राज्य में किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया जा रहा है। जिन स्कूलों को एक ही परिसर में संचालित किया जा रहा है—जैसे कि प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और हायर सेकेंडरी स्कूल—उनका केवल प्रशासनिक समायोजन किया जा रहा है। इसे ही क्लस्टर विद्यालय कहा जा रहा है, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग और प्रबंधन संभव हो सके। इससे स्कूलों की भौतिक उपस्थिति और शैक्षणिक गतिविधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  • शिक्षकों के पद समाप्त नहीं, केवल स्थानांतरण

  • कुछ संगठनों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि 43849 शिक्षक पद समाप्त किए जा रहे हैं। जबकि शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह आंकड़ा पूरी तरह गलत और भ्रामक है। गणना के अनुसार केवल 5370 शिक्षक ही अतिशेष की श्रेणी में आए हैं, जिनमें 3608 सहायक शिक्षक (प्राथमिक स्तर) और 1762 शिक्षक (पूर्व माध्यमिक स्तर) शामिल हैं। इन शिक्षकों को केवल उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा जहाँ उनकी जरूरत है। किसी भी शिक्षक पद को समाप्त नहीं किया जा रहा है, और सभी स्वीकृत पद भविष्य में छात्रों की संख्या बढ़ने पर पुनः सक्रिय रहेंगे।
  • विषय आधारित व्याख्याताओं का समुचित वितरण

  • हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में विषय आधारित व्याख्याता पद स्वीकृत हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी विषय में एक ही व्याख्याता कार्यरत है, तो उसे किसी भी स्थिति में ‘अतिशेष’ नहीं माना जाएगा। केवल उन्हीं स्कूलों में पुनर्समीक्षा की जा रही है जहाँ एक ही विषय में एक से अधिक व्याख्याता हैं, या जहाँ उस विषय के छात्र ही नहीं हैं। जैसे कि किसी विद्यालय में कॉमर्स के छात्र न होने पर वहां के कॉमर्स व्याख्याता को अन्य स्कूल में तैनात किया जाएगा जहाँ उस विषय की पढ़ाई हो रही है।
  • शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना है प्राथमिक लक्ष्य

  • युक्तियुक्तकरण को केवल एक प्रशासनिक कवायद के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में एक ठोस पहल है। इसका उद्देश्य है:
  • उन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती करना जहाँ वास्तव में उनकी जरूरत है।
  • छात्रों को उनके स्तर और विषय के अनुसार उपयुक्त शैक्षणिक संसाधन और मार्गदर्शन देना।
  • शिक्षा के अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को क्रियान्वित करना।
  • शिक्षा प्रणाली को अधिक न्यायपूर्ण, व्यावहारिक और प्रभावी बनाना।
  • निष्कर्ष

  • छत्तीसगढ़ में विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण शिक्षा विभाग की एक दूरदर्शी और सुदृढ़ योजना का हिस्सा है, जिसका मकसद न तो स्कूल बंद करना है, न पद समाप्त करना। यह प्रक्रिया राज्य के शिक्षा ढांचे को सुधारने, संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करने और बच्चों को समान, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में एक सार्थक कदम है।
  • भ्रांतियों से बचें, और तथ्यों को समझें—क्योंकि शिक्षित समाज ही सशक्त राष्ट्र की नींव रखता है।
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