श्रेयांश सिंह : खैरागढ़ –
जब-जब विकास कार्यों पर लापरवाही की धूल जमती है, तब-तब आवाज़ें उठती हैं जो व्यवस्था को झकझोर देती हैं। खैरागढ़ के लालपुर स्टॉफ डेम की जर्जर सड़क और आए दिन हो रहे हादसों को लेकर मिशन संडे टीम की चेतावनी ने प्रशासन की नींद तोड़ दी। चेतावनी के बाद प्रशासन ने हरकत में आते हुए अस्थायी पैचवर्क तो कराया, लेकिन यह कदम महज़ तात्कालिक राहत जैसा रहा।
जर्जर सड़क पर आधे-अधूरे उपाय
करीब दो करोड़ 42 लाख रुपये की लागत से बने लालपुर स्टॉफ डेम की सड़क पर ना तो रेलिंग है, ना ही टीचिंग वर्क जैसे जरूरी सुरक्षा इंतज़ाम। मिशन संडे के संयोजक मनराखन देवांगन ने स्पष्ट कहा कि केवल गड्ढे भर देना समाधान नहीं है। “जनता की सुरक्षा के लिए मानक अनुरूप, टिकाऊ निर्माण ज़रूरी है। बार-बार की मरम्मत कोई स्थायी हल नहीं है,” उन्होंने कहा।
गंभीर आरोप और गैर-जिम्मेदाराना रवैया
टीम का आरोप है कि डेम निर्माण में भारी अनियमितताएँ हुई हैं, जिनकी जाँच अब तक अधूरी है। हाल ही में मिशन संडे ने एक बार फिर स्टॉफ डेम का निरीक्षण किया, पर विभाग का कोई जिम्मेदार अधिकारी वहाँ मौजूद नहीं था। यह रवैया प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा करता है।
नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एकजुट माँग
निरीक्षण के दौरान विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन के साथ नेता प्रतिपक्ष दीपक देवांगन, रविन्द्र सिंह गहरवार, भरत चंद्राकर, पावन सारथी, नरेन्द्र सेन, महेश यादव, सूरज देवांगन, रंजीत रजक, मधु वर्मा, राहुल बंजारे, मेनुका साहू सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में मांग की कि विकास कार्य केवल खानापूर्ति न बनें, बल्कि तकनीकी गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पूरा पालन हो।
अस्थायी सुधार, स्थायी समाधान अब भी शेष
प्रशासन ने अल्पकालिक कदम जरूर उठाए हैं, लेकिन सड़क की रेलिंग, टीचिंग वर्क और अन्य सुरक्षा इंतज़ाम अब तक अधूरे हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन की प्राथमिकताओं में जनता की सुरक्षा वास्तव में शामिल है?
संघर्ष तब तक जारी रहेगा
मिशन संडे टीम ने स्पष्ट किया है कि जब तक तकनीकी खामियों को दूर नहीं किया जाता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। यह केवल सड़क का मुद्दा नहीं, बल्कि जनहित में टिकाऊ और पारदर्शी विकास की माँग है—एक ऐसा विकास जो केवल कागजों पर नहीं, बल्कि जमीन पर दिखे और जन-जीवन को सुरक्षित बनाए।
मिशन संडे की चेतावनी ने प्रशासन को हरकत में जरूर लाया है, लेकिन जब तक स्थायी समाधान नहीं होते, विकास अधूरा ही कहलाएगा। टिकाऊ विकास की यह लड़ाई खैरागढ़ के हर नागरिक की लड़ाई है, जो केवल गड्ढे भरने से नहीं, बल्कि नीति, नियत और निष्पादन की गुणवत्ता से जीती जा सकती है।
Live Cricket Info