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ग्राम पंचायतों में भंडार क्रय नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां

2022 के संशोधित आदेशों का नहीं हो रहा पालन, पारदर्शिता पर उठे सवाल

वाई के साहू : रायपुर –

छत्तीसगढ़ की ग्राम पंचायतों में भंडार क्रय नियम 2022 के संशोधित प्रावधानों की सरेआम अनदेखी की जा रही है। शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अधिकांश पंचायतें बिना निविदा, बिना कोटेशन और बिना GeM पोर्टल के खरीदी कर रही हैं और वेंडरों को मनमाने ढंग से सीधे भुगतान किया जा रहा है।

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वेंडर को सीधे भुगतान, सचिवों की मनमानी चरम पर

सूत्रों के अनुसार, कई ग्राम पंचायतों में ₹10,000 से अधिक राशि की खरीदी बिना किसी कोटेशन के की जा रही है। सचिव सीधे वेंडरों को भुगतान कर रहे हैं, जो न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि पंचायत की सार्वजनिक राशि के दुरुपयोग का गंभीर मामला है।

पंचायत बैठक के नाम पर सरपंच–सचिव की मिलीभगत

पंचायतों में नाममात्र की बैठकों का आयोजन कर दस्तावेज़ों पर पंचायत प्रतिनिधियों से हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं, जबकि असल निर्णय पहले से तय कर लिए जाते हैं। इस प्रकार की मिलीभगत से फर्जी भुगतान को बढ़ावा मिल रहा है।

जिला अधिकारी सिर्फ “शिकायत मिलने पर कार्यवाही” का दे रहे हवाला

जिला और जनपद अधिकारियों की ओर से जवाब मिलता है कि “शिकायत मिलने पर कार्यवाही की जाएगी।” प्रश्न यह है कि जब अनियमितता आम बात हो गई है, तब स्वत: संज्ञान क्यों नहीं लिया जा रहा?

नए सरपंचों को नियमों की जानकारी नहीं, 5 महीने से ज्यादा हो चुके हैं बीत

पदभार ग्रहण किए पांच महीने बीत जाने के बाद भी कई पंचायतों के सरपंच और सचिवों को संशोधित भंडार क्रय नियमों की जानकारी नहीं दी गई है। जनपद पंचायतों की ओर से अब तक कोई प्रशिक्षण या दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया, जो प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।

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न जेम पोर्टल, न निविदा — फिर भी जारी है खरीदी

शासन द्वारा 10,000 रुपये से अधिक की हर खरीदी GeM पोर्टल या खुली निविदा प्रक्रिया के माध्यम से करने का स्पष्ट निर्देश है, पर ग्राम पंचायतें नियमों को नजरअंदाज कर अपने मनमाने ढंग से सामग्री की खरीदी कर रही हैं।

राज्य शासन की चेतावनी भी बेअसर

राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना निविदा या GeM पोर्टल से खरीदी गई सामग्री अवैध मानी जाएगी और संबंधित सरपंच-सचिव से वसूली व कार्रवाई की जाएगी। बावजूद इसके, नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और फर्जी भुगतान का सिलसिला थमा नहीं है।

50 हजार रुपये तक की खरीदी में नहीं बनाए जा रहे स्टीमेट

कई पंचायतों में ₹50,000 तक की खरीदी बिना अनुमान पत्र (स्टीमेट) के की जा रही है। यह वित्तीय पारदर्शिता के साथ खिलवाड़ और वित्तीय कुप्रबंधन का प्रतीक है।

🛑 पंचायती व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल

अब बड़ा सवाल यह है कि जब शासन के पास स्पष्ट नियम और दंड प्रक्रिया मौजूद है, तो इनका पालन क्यों नहीं हो रहा? क्या यह केवल लापरवाही है या किसी संगठित भ्रष्टाचार की परतें हैं?

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