विशेष रिपोर्ट : श्रेयांश सिंह /खैरागढ़ – नए जिले के रूप में अस्तित्व में आए खैरागढ़-छुईखदान-गंडई को ढाई वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन विकास की रफ्तार अब भी कछुआ चाल से आगे बढ़ रही है। जिले से होकर गुजरने वाला राजनांदगांव से कबीरधाम को जोड़ने वाला स्टेट हाईवे आज बदहाली का शिकार है। यह सड़क अब राह नहीं, बल्कि राहगीरों के लिए मुसीबत बन गई है।
सड़क पर जगह-जगह गड्ढे, उबड़-खाबड़ सतह और ध्वस्त सोल्डर ने इसे दुर्घटनाओं का न्यौता देने वाला मार्ग बना दिया है। विशेष रूप से दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह सड़क जान जोखिम में डालने जैसी स्थिति पैदा कर रही है। प्रतिदिन घट रही दुर्घटनाएं इस बात की गवाही दे रही हैं कि सड़कों की मरम्मत अब प्रशासनिक प्राथमिकता में नहीं रही।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों से मुरुम नहीं डाले जाने के कारण कई जगह सड़क किनारे सोल्डर एक फीट तक नीचे धंस चुका है। इससे वाहन फिसलने और पलटने जैसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। लेकिन इसके बावजूद जिला प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।
आमजन पूछ रहे हैं — जब स्टेट हाईवे की ये दुर्दशा है, तो अंदरूनी गांवों की सड़कों का क्या हाल होगा? क्या नए जिले की सूरत संवारने की जिम्मेदारी सिर्फ घोषणाओं तक सीमित रह गई है?
जरूरत है ठोस पहल की
अब समय आ गया है कि शासन और प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान दे। न केवल सड़क की मरम्मत और पुनर्निर्माण की आवश्यकता है, बल्कि इसकी नियमित निगरानी और रखरखाव भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हालात न बनें।
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