इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को दी गई महत्वपूर्ण जानकारियां
श्रेयांश सिंह:खैरागढ़ –
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में बुधवार को नशामुक्ति और मानसिक स्वास्थ्य विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा के निर्देशन और मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के कैम्पस-2 स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस, राजनांदगांव के निदेशक डॉ. प्रमोद गुप्ता ने विद्यार्थियों को संबोधित किया।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि वर्तमान समय में तनाव के कारण युवाओं में आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बेहतर भविष्य की चिंता, शिक्षकों का दबाव, प्रतियोगिता का तनाव और प्रेम संबंधों की समस्याओं के चलते युवा मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं और नशे की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 53 प्रतिशत लोग ओवर डोज नशा कर रहे हैं, जिसका प्रमुख कारण तनाव है।
जन्म से मृत्यु तक तनाव जीवन का हिस्सा रहेगा। इसे खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन तनाव का सही प्रबंधन कर जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।” – डॉ. प्रमोद गुप्ता
उन्होंने कहा कि 18 से 20 साल की उम्र में युवा अपने संबंधों और जीवन की परिस्थितियों को संभाल नहीं पाते, जिससे वे तनावग्रस्त हो जाते हैं। इस कारण वे नशे का सहारा लेने लगते हैं। डॉ. गुप्ता ने विद्यार्थियों को मोबाइल, लैपटॉप और टीवी जैसे उपकरणों का सीमित उपयोग करने की सलाह दी।
परिवार और संस्कारों से दूर होती पीढ़ी
डॉ. गुप्ता ने कहा कि पहले लोग अपने परिवार के साथ समय बिताते थे और संस्कार व परंपराएं सिखाते थे, लेकिन आज के समय में लोग सोशल मीडिया की काल्पनिक दुनिया में खो गए हैं।
उन्होंने कहा कि लोग अब बुजुर्गों को वृद्धाश्रम भेज रहे हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों को संस्कृति और परंपरा का ज्ञान नहीं मिल पा रहा। उन्होंने विद्यार्थियों को सोशल मीडिया से बाहर निकलकर वास्तविक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए सुझाव
डॉ. गुप्ता ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दिनचर्या की शुरुआत करना और कम से कम 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है।
कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों ने अपने सवाल पूछे, जिनका डॉ. गुप्ता ने संतोषजनक उत्तर दिया।
इस अवसर पर प्रो. राजन यादव, प्रो. नमन दत्त, सहायक कुलसचिव विजय कुमार सिंह, विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, विद्यार्थी और शोधार्थी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
कार्यक्रम का संचालन और आभार प्रदर्शन डॉ. देवमाईत मिंज ने किया।
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