कांग्रेस ने भी रसोइयों की मांगों को बताया जायज, आंदोलन को दिया समर्थन
श्रेयांश सिंह खैरागढ़ –
मध्यान्ह भोजन योजना के तहत कार्यरत महिला रसोइयों ने खैरागढ़ में तीन दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर सरकार पर वादाखिलाफी का गंभीर आरोप लगाया है। अंबेडकर चौक से कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकालते हुए रसोइयों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें शीघ्र पूरी नहीं की गईं, तो वे प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगी।
रसोइयों की तीन प्रमुख मांगें:
- चुनाव पूर्व किए गए 50% मानदेय वृद्धि के वादे को शीघ्र पूरा किया जाए।
- अंशकालिक रसोइयों को पूर्णकालिक घोषित कर कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जाए।
- छात्र संख्या में कमी के आधार पर रसोइयों को कार्य से न हटाया जाए।
प्रदर्शनकारी रसोइयों ने कहा कि वे ₹2000–₹2500 मासिक मानदेय में काम कर रही हैं, जो न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। “हम बच्चों को भोजन कराते हैं, लेकिन खुद के लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी मुश्किल होता जा रहा है,” उन्होंने कहा।
राजनीतिक प्रतिनिधियों का मिला समर्थन
रैली के अंतिम पड़ाव — कलेक्टर कार्यालय — पर मिशन संडे टीम के संयोजक और विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन भी पहुंचे और रसोइयों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा, “कांग्रेस सरकार ने रसोइयों का मानदेय ₹1200 से बढ़ाकर ₹2000 किया था। यदि हमारी सरकार होती तो उनकी मांगें पूरी होतीं। वर्तमान सरकार अपने ही वादे पूरे नहीं कर पा रही है।”
मनराखन देवांगन के साथ नेता प्रतिपक्ष दीपक देवांगन और कांग्रेस नेता सूर्यकांत यादव भी कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और धरने पर बैठी रसोइयों को समर्थन देते हुए सरकार से शीघ्र निर्णय लेने की मांग की।
प्रदेश में आंदोलन का विस्तार तय
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में भी रसोइया संघ आंदोलनरत है। खैरागढ़ में दिए गए अल्टीमेटम के बाद यह विरोध प्रदेशभर में उग्र रूप ले सकता है, जिससे मध्यान्ह भोजन योजना की व्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित होने की आशंका है।
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