श्रेयांश सिंह : खैरागढ़ –
लालपुर एनीकट की ऊँचाई बढ़ाने और सुदृढ़ीकरण के नाम पर जल संसाधन विभाग ने करोड़ों का घोटाला कर डाला है। जल आवर्धन योजना के तहत स्वीकृत 2 करोड़ 42 लाख की लागत से हुए इस कार्य में निर्माण की गुणवत्ता इतनी घटिया है कि कार्य के कुछ महीनों बाद ही एनीकट ऊँचाई में लगे गिट्टियाँ उखड़ने लगी और कई स्थानों पर गड्ढे नजर आने लगे हैं।
भाजपा सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति के बावजूद भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि अब विभागीय लापरवाही और ठेकेदार से मिलीभगत की पोल खुलने लगी है।
घटिया निर्माण से छलनी हुआ सरकारी पैसा
स्थानीय रहवासियों का आरोप है कि निर्माण के दौरान न तो कोई तराई की गई, न ही तकनीकी मापदंडों का पालन हुआ। गर्मी के समय निर्माण कार्य करने के बावजूद एनीकट ऊँचाई व रिटेनिंग वाल से गिट्टी उखड़ रही है, जो यह दर्शाता है कि कार्य मात्र कागजों में पूरा किया गया।
अधिकारी बना रहे बचाव का फर्जी तर्क
जब मीडिया ने सवाल उठाए, तो जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने यह कहकर बचाव किया कि ठेकेदार का कुछ पेमेंट रुका हुआ है व पानी की मांग के चलते एनीकट को भरा जाता है। ठेकेदार पूरा काम नहीं कर पाया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या निर्माण के दौरान मॉनिटरिंग नहीं की गई थी? क्या अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं थी कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर नज़र रखें?
सूचना पटल पर ‘छत्तीसगढ़’ की भी भ्रष्ट वर्तनी
जल संसाधन विभाग द्वारा लगाए गए सूचना बोर्ड पर ‘छत्तीसगढ़ शासन’ की जगह ‘छत्तिसगढ़ शासन’ लिखा गया है। अक्षरों की मात्रा तक सही न लिखवाने वाले अफसरों से गुणवत्तापूर्ण निर्माण की उम्मीद करना अपने आप में सवाल खड़ा करता है। यह भी दर्शाता है कि बोर्ड तक की जांच में अधिकारियों की लापरवाही रही और निर्माण कार्य में लूट की खुली छूट दी गई।
ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत उजागर
स्थानीय जनता का कहना है कि ठेकेदार ने अधिकारियों को ‘मैनेज’ कर कार्य में जमकर मनमानी की। यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए, तो कई अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं और उन पर कार्रवाई हो सकती है।
अब बड़ा सवाल यह है कि प्रशासन इस मामले में सख्त कदम उठाएगा या फिर लेन-देन कर इसे रफा-दफा कर दिया जाएगा। जनता की नजरें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।
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