श्रेयांश सिंह:खैरागढ़ –
खैरागढ़ का एक परिवार, जो ‘रतन मूर्तिकार’ के नाम से पूरे क्षेत्र में जाना जाता है, पिछले 50.55 सालों से गणेश मूर्तियों का निर्माण कर रहा है। परंपरा, श्रद्धा और कला के अद्भुत संगम से इस परिवार ने इस वर्ष 9000 गणेश मूर्तियाँ तैयार की हैं।
रतन मूर्तिकार परिवार की कला और मेहनत हर साल गणेश चतुर्थी के दौरान लोगों को आकर्षित करती है। यह सिर्फ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही भक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण है।
परिवार के वरिष्ठ सदस्य बताते हैं कि इस कार्य की शुरुआत उनके पूर्वजों ने लगभग 1975 में की थी, जब उन्होंने मिट्टी से पहली गणेश प्रतिमा बनाई थी। तब से लेकर आज तक, हर साल भिन्न-भिन्न आकार, रंग और भावों वाली गणेश प्रतिमाएं बनाकर वे जनमानस की आस्था का केंद्र बनते जा रहे हैं।
इस बार की 9000 मूर्तियाँ पर्यावरण अनुकूल मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बनाई गई हैं, जो विसर्जन के बाद जल में आसानी से घुल जाती हैं। यह पहल भी लोगों को काफी पसंद आ रही है।
स्थानीय लोग न सिर्फ खैरागढ़ से, बल्कि आसपास के जिलों और राज्यों से भी रतन मूर्तिकार की मूर्तियाँ लेने आते हैं। हर प्रतिमा में बारीकी से की गई नक्काशी और भक्ति भाव साफ झलकता है।
परिवार की नई पीढ़ी भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। वे आधुनिक तकनीकों के साथ पारंपरिक कला को जोड़कर इसे और भी सुंदर और आकर्षक बना रहे हैं।
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