खैरागढ़ में सीएम साय के दौरे से पहले सियासत गरमाई, विपक्ष को नजरअंदाज करने पर कांग्रेस का तीखा विरोध
श्रेयांश सिंह:खैरागढ़ –
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के खैरागढ़ दौरे से पहले ही सियासी तापमान तेज़ हो गया है। जहां एक ओर भाजपा और प्रशासन ने 611 करोड़ के विकास कार्यों को लेकर पूरे शहर को स्वागत में सजा दिया है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर लोकतांत्रिक मर्यादाएं तोड़ने का आरोप लगाते हुए सीधा हमला बोला है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने तीखे शब्दों में सवाल किया है — “क्या मुख्यमंत्री सिर्फ भाजपा के हैं?” उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष के प्रतिनिधियों को सीएम से मिलने का मौका नहीं दिया गया, जबकि उनकी मांगें पूरी तरह जनहित से जुड़ी थीं।
“हम शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार की बात करना चाहते थे”
देवांगन ने कहा कि कांग्रेस की मिशन संडे टीम ने बाकायदा प्रशासन को पत्र देकर मुख्यमंत्री से औपचारिक मुलाकात का समय मांगा था। उन्होंने बताया कि यह मुलाकात शिष्टाचार के साथ-साथ जिले के बुनियादी विकास, रोजगार और सुविधाओं पर चर्चा के लिए थी, न कि किसी सियासी बयानबाज़ी के लिए।
लेकिन प्रशासन की चुप्पी और मुलाकात न तय होना इस ओर इशारा करता है कि सत्ता पक्ष विपक्ष की आवाज़ से बचना चाहता है। इतना ही नहीं, देवांगन को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में शामिल होने की भी अनुमति नहीं दी गई, जिससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी नाराज़गी है।
“लोकतंत्र में विरोध की आवाज़ दबाना खतरनाक संकेत”
देवांगन ने कहा,
हम जनता के प्रतिनिधि हैं। अगर हमारी बात सत्ता के शीर्ष तक नहीं पहुंचाई जा सके तो ये लोकतंत्र नहीं, सत्ता का घमंड है। मुख्यमंत्री को जनप्रतिनिधि से नहीं, जनहित से मतलब रखना चाहिए।”
उन्होंने प्रशासन पर सीधा आरोप लगाया कि वह सत्ता पक्ष के दबाव में काम कर रहा है और विपक्ष की उपेक्षा कर लोकतांत्रिक मर्यादाओं को कुचला जा रहा है।
कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक की साफ़ तौर पर अनदेखी की गई। उन्हे बोलने का अवसर ही नहीं मिला, जबकि प्रोटोकॉल के अनुसार यह अधिकार उन्हें मिलना चाहिए था।
कांग्रेस ने जताया रोष, भाजपा पर लगाया सत्ता प्रदर्शन का आरोप
कांग्रेस नेताओं ने भाजपा पर “एकतरफा विकास यात्रा” का आरोप लगाते हुए कहा कि जब विपक्ष की बात सुनने का साहस न हो, तो ऐसे लोकार्पण केवल राजनीतिक मंच बनकर रह जाते हैं। कांग्रेस का कहना है कि सीएम को चाहिए कि वे सभी पक्षों की बात सुनें, तभी लोकतंत्र का सम्मान बचेगा।
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