छुईखदान आईसीडीएस परियोजना का मामला, शिकायत कलेक्टर तक पहुंची • RTI पर जानकारी मांगने पर अभ्यर्थी से दुर्व्यवहार का भी आरोप
श्रेयांश सिंह:खैरागढ़
खैरागढ़–छुईखदान–गंडई जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की भर्ती को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि डीहीपारा केंद्र में पात्र उम्मीदवार को हटाकर अपात्र महिला को प्रमोशन देकर कार्यकर्ता बना दिया गया। शिकायतकर्ता जानकी यदु ने पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर को भेजी है और जांच की मांग की है।
योग्यता पूरी होने के बावजूद पात्र उम्मीदवार को बाहर किया गया
परियोजना ने 15 अप्रैल 2025 को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के 11 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। डीहीपारा केंद्र के लिए 12वीं पास की अनिवार्यता थी। इस पद के लिए दो आवेदन आए—जानकी यदु, जिन्होंने 12वीं की मार्कशीट लगाई, और नोटिस मरकाम, जिन्होंने 12वीं की योग्यता प्रस्तुत नहीं की। दस्तावेज जांच में नोटिस मरकाम को अपात्र घोषित कर दिया गया।
मूल्यांकन सूची में भी जानकी यदु को 46.80 अंक और नोटिस मरकाम को सिर्फ 22 अंक मिले। यानी चयन में जानकी यदु पूरी तरह से पात्र थीं।
स्थानीय स्तर पर प्रमोशन का खेल?
शिकायत में आरोप है कि परियोजना अधिकारी सुनील कुमार बंजारे ने अपात्र घोषित की गई नोटिस मरकाम को ही कार्यकर्ता बना दिया। नोटिस मरकाम पहले सहायिका थीं और अधिकारी ने उन्हें सीधे पदोन्नत कर कार्यकर्ता बना दिया, जबकि उसी पद के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी थी।
शिकायतकर्ता का कहना है—“अगर प्रमोशन ही करना था तो भर्ती निकालने की जरूरत क्यों पड़ी? यह स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।”
RTI पर जानकारी मांगने पर बदसलूकी का आरोप
जानकी यदु ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत दस्तावेज मांगे, तो परियोजना अधिकारी ने उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए कहा—
“जिसे नियुक्त कर दिया है, कर दिया… जहां जाना है जाओ, तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।”
उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया को छिपाने और दबाव बनाने के लिए यह व्यवहार किया गया।
कलेक्टर से अपात्र नियुक्ति निरस्त करने की मांग
शिकायत में कहा गया कि नोटिस मरकाम की नियुक्ति पूरी तरह से नियम विरुद्ध है, इसलिए इसे तुरंत रद्द किया जाए। साथ ही परियोजना अधिकारी के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की गई है।
सीधी बात – छुईखदान परियोजना अधिकारी सुनील बंजारे
प्रश्न: अपात्र को नियुक्त करने के आरोप पर आपकी सफाई?
उत्तर: नियुक्ति नियमों के अनुसार की गई है। रिक्त कार्यकर्ता पदों में 50% पद प्रमोशन से भरे जाते हैं। नोटिस मरकाम सहायिका थीं, इसलिए उन्हें पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: प्रमोशन का नियम था तो भर्ती विज्ञापन क्यों जारी हुआ?
उत्तर: विज्ञापन गलती से जारी हो गया था। नोटिस मरकाम के अभ्यावेदन के बाद पता चला कि यह पद प्रमोशन का है। मामला स्थायी समिति में रखा गया और समिति ने भी प्रमोशन को सही माना।
प्रश्न: समिति ने ही निर्णय लिया, फिर वे शिकायत क्यों कर रहे?
उत्तर: समिति के सदस्यों ने बैठक में निर्णय लिया और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। अब शिकायत क्यों कर रहे—यह वही बता सकते हैं। रिकॉर्ड में सब दर्ज है।
प्रश्न: बिना 12वीं प्रमाणपत्र के कैसे नियुक्ति हुई?
उत्तर: प्रमोशन में 12वीं की अनिवार्यता तब देखी जाती है, जब एक से अधिक सहायिका पात्र हों। यहां केवल एक ही आवेदन था, इसलिए योग्यता नहीं देखी गई।
प्रश्न: अभ्यर्थी से दुर्व्यवहार का आरोप?
उत्तर: यह आरोप पूरी तरह गलत है। मेरी अभ्यर्थी या उनके परिजनों से मुलाकात तक नहीं हुई है। यदि कोई सबूत है तो प्रस्तुत करें।
प्रश्न: नोटिस मरकाम प्रमोशन के लिए कैसे पात्र थीं?
उत्तर: सरकार के अनुसार पाँच वर्ष से अधिक समय तक कार्यरत सहायिका प्रमोशन की पात्र होती है। नोटिस मरकाम कई वर्षों से कार्यरत थीं, इसलिए वे पात्र थीं।
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