श्रेयांश सिंह / खैरागढ़ – शिक्षा को बचाने और बच्चों के भविष्य को अंधकार से बाहर लाने के संकल्प के साथ मिशन संडे टीम ने इस रविवार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव किया। टीम के सदस्य काले टी-शर्ट पहन कर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और सरकार द्वारा शासकीय विद्यालयों में चलाए जा रहे ‘युक्तिकरण’ (विद्यालय विलय) के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की।
टीम के संयोजक मनराखन देवांगन ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा,
“यदि सरकार ने युक्तिकरण पर पुनर्विचार नहीं किया, तो हम चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।”
📌 क्या है युक्तिकरण और क्यों हो रहा विरोध?
‘युक्तिकरण’ नीति के तहत जिले की कई सरकारी शालाएँ या तो एक-दूसरे में विलीन की जा रही हैं या फिर पूरी तरह से बंद। इसका सीधा असर उन ग्रामीण बच्चों पर पड़ रहा है, जिनके लिए स्कूल तक पहुँचना पहले ही एक चुनौती है।
मनराखन देवांगन का कहना है कि —स्कूल बंद होने से दूरदराज़ के बच्चों की पढ़ाई छूट रही है, विशेषकर बेटियाँ स्कूल छोड़ने को मजबूर हो रही हैं। महिला शिक्षकों का तबादला सुदूर वन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जहाँ जाना उनके लिए खतरनाक है।”
🚨 शिक्षा बंद, शराब चालू – युवाओं का भविष्य अधर में
मिशन संडे ने सरकार की दोहरी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि —स्कूल बंद किए जा रहे हैं, लेकिन गांव-गांव में शराब की दुकानें खोली जा रही हैं। इससे बच्चों और युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। नशे की बढ़ती लत समाज को अपराध की ओर धकेल रही है।”
टीम ने यह भी बताया कि युक्तिकरण की मार केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी सामाजिक परिणाम सामने आ रहे हैं – बढ़ती बेरोज़गारी, पलायन, नशाखोरी, और किशोर अपराध।
🗣️ मांग – शिक्षा के साथ न हो समझौता
मिशन संडे टीम ने जिला प्रशासन से यह अपील की कि वे जनभावनाओं को राज्य शासन तक पहुँचाएँ और युक्तिकरण की इस जनविरोधी नीति पर पुनर्विचार कराया जाए।
“हम केवल स्कूल नहीं बचा रहे, हम अगली पीढ़ी को अंधकार से बचा रहे हैं। अगर सरकार नहीं मानी, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।”
– मनराखन देवांगन, संयोजक, मिशन संडे
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