श्रेयांश सिंह/खैरागढ़ – इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय परिसर में स्थित राजा रवींद्र बहादुर सिंह संग्रहालय कला, संस्कृति और इतिहास का अनमोल खजाना है, जिसकी स्थापना वर्ष 1977 में हुई थी। वर्ष 2016 में इस संग्रहालय का जीर्णोद्धार कर इसे नई भव्यता प्रदान की गई। दुर्भाग्यवश, नगर के बहुत से लोग इस ऐतिहासिक धरोहर से अब तक अनजान हैं।
यह संग्रहालय कुल 6 विशिष्ट कला दीर्घाओं में विभाजित है, जिनमें लगभग 150 प्राचीन मूर्तियां एवं दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। इनमें चामुंडा और वीरेश्वर शिव की मूर्तियां विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जो आज दुर्लभ हो चुकी मूर्तिकला का जीवंत प्रमाण हैं।
कला दीर्घाओं की विशेषताएं:
- पहली दीर्घा – मानव सभ्यता के विकास और उनके द्वारा बनाए गए प्राचीन औजारों की प्रदर्शनी, जिन्हें विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग के छात्रों ने अध्ययन के उद्देश्य से निर्मित किया है।
- दूसरी दीर्घा – खैरागढ़ राजमहल की ऐतिहासिक धरोहरों का संग्रह। इसमें राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह की राजसी कुर्सी, पुरानी तिजोरी, ताम्रपत्र आदि महत्वपूर्ण वस्तुएं शामिल हैं।
- तीसरी दीर्घा – हजारों साल पुरानी दुर्लभ मूर्तियों का संग्रह, जो अब देश से लगभग विलुप्त हो चुकीं हैं। विश्वविद्यालय के मूर्तिकला विभाग के छात्र इनका गहन अध्ययन करते हैं।
- चौथी दीर्घा – आदिवासी कलाओं को समर्पित, जहां आदिवासी संस्कृति की विविध झलक देखने को मिलती है।
- पांचवीं दीर्घा – तीन प्रकार के वाद्ययंत्रों का अनोखा संग्रह: तार वाद्य, आनन्द वाद्य तथा सुषिर वाद्य। इसमें राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह का लगभग 100 वर्ष पुराना पियानो भी शामिल है, जो उनके संगीत प्रेम को दर्शाता है। यह वही राजा हैं जिन्होंने अपने राजमहल को संगीत शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय को दान में दे दिया था।
- छठवीं दीर्घा – चित्रकला को समर्पित, जिसमें 40 से 50 वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों द्वारा बनाए गए चित्र आज भी सुरक्षित प्रदर्शित हैं।
जनभागीदारी की अपील:
संग्रहालय के अध्यक्ष आशुतोष चौरे ने नगरवासियों से अपील की है कि वे इस अद्भुत सांस्कृतिक केंद्र का भ्रमण करें और अपने बच्चों को भी इसके शैक्षणिक महत्व से परिचित कराएं।
संग्रहालय खुलने का समय:
📅 प्रतिदिन खुला (शासकीय अवकाश छोड़कर)
🕥 प्रातः 10:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक
🕑 दोपहर 2:00 बजे से सायं 5:30 बजे तक
यह संग्रहालय न केवल अतीत से जुड़ने का माध्यम है, बल्कि विद्यार्थियों और कला प्रेमियों के लिए अध्ययन व प्रेरणा का केंद्र भी है।
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