19 से 21 नवंबर तक होगा आयोजन
श्रेयांश सिंह:खैरागढ़
एशिया के पहले संगीत विश्वविद्यालय इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में तीन साल बाद एक बार फिर “खैरागढ़ महोत्सव” का भव्य आयोजन होने जा रहा है। तीन दिवसीय यह सांस्कृतिक पर्व 19 से 21 नवंबर तक आयोजित किया जाएगा।
आखिरी बार वर्ष 2022 में यह महोत्सव मनाया गया था, जिसके बाद चुनावी और प्रशासनिक कारणों से कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था। अब इसके पुनः आयोजन की घोषणा के साथ ही पूरे नगर और जिले में उत्साह का माहौल है। संगीत नगरी खैरागढ़ एक बार फिर राग, ताल और नृत्य की लहरियों से गूंज उठेगी।
नगर में दिखेगा उत्सव जैसा माहौल
महोत्सव के दौरान विश्वविद्यालय परिसर और आसपास के क्षेत्र आकर्षक रोशनी से सजाए जाएंगे। नगर में दीपावली जैसा उल्लास दिखाई देगा। दूर-दूर से कलाकार, संगीत प्रेमी और पर्यटक इस सांस्कृतिक पर्व का आनंद लेने खैरागढ़ पहुंचेंगे। पूरा शहर कला और संगीत की मिठास में सराबोर रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगा आयोजन
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा ने बताया कि इस बार महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय मंच देने के लिए विशेष तैयारियाँ की गई हैं।
उन्होंने कहा, “हमने अमेरिका के कैलिफोर्निया और लंदन से भी कलाकारों को आमंत्रित किया है ताकि खैरागढ़ महोत्सव वैश्विक कला मंच के रूप में स्थापित हो सके।”
देशभर के नामचीन कलाकार देंगे प्रस्तुति
इस वर्ष महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से ख्यातिप्राप्त कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। इनमें वृंदावन की शास्त्रीय गायिका आस्था गोस्वामी, दिल्ली की भरतनाट्यम नृत्यांगना डॉ. संध्या पूरेचा, तबला वादक हरीश तिवारी, साहित्यकार और कलाकार व्योमेश शुक्ला, तथा कथक नृत्यांगना शमा भाटे शामिल हैं।
इसके साथ ही कुलपति डॉ. लवली शर्मा भी मंच पर अपनी प्रस्तुति देंगी।
मुख्यमंत्री करेंगे शुभारंभ, राज्यपाल होंगे समापन समारोह के मुख्य अतिथि
कुलपति डॉ. शर्मा ने बताया कि महोत्सव का शुभारंभ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के करकमलों से किया जाएगा।
अति विशिष्ट अतिथि के रूप में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, और विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा उपस्थित रहेंगे।
समापन समारोह में राज्यपाल रमेन डेका मुख्य अतिथि होंगे, जबकि उपमुख्यमंत्री अरुण साव और सांसद बृजमोहन अग्रवाल विशिष्ट अतिथि रहेंगे।
तैयारियों में जुटा विश्वविद्यालय प्रशासन
महोत्सव की तैयारियाँ जोरों पर हैं। सभी विभागों को जिम्मेदारियाँ सौंप दी गई हैं। मंच, सुरक्षा, प्रकाश व्यवस्था और अतिथि सत्कार की निगरानी स्वयं कुलपति डॉ. शर्मा कर रही हैं।
उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य कम से कम खर्च में भी उत्कृष्ट आयोजन करना है, ताकि महोत्सव की गरिमा बनी रहे।”
संगीत नगरी में फिर बजेगा राग और ताल का संगम
तीन वर्षों के अंतराल के बाद खैरागढ़ एक बार फिर कला, संस्कृति और संगीत का केंद्र बनने जा रहा है। देश-विदेश से आने वाले कलाकार जब खैरागढ़ की धरती पर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे, तो यह आयोजन संगीत प्रेमियों के लिए यादगार बन जाएगा।
यह महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि खैरागढ़ की संगीतिक विरासत, पहचान और गौरव का प्रतीक है।
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